
कुंडली में कई दोष होने के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में सुख प्राप्त नहीं होता है। उसे किसी ना किसी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है।
जैसे अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उस इंसान को संतान का सुख नहीं मिलता है। पति पत्नी स्वस्थ होते है फिर भी उनको सुख प्राप्त नहीं होता है।
श्राद्ध पक्ष में पितरों की कृपा पाने के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य पर राहु की दृष्टि पड़ रही है या सूर्य और राहु की युति है तो पितृ दोष बनता है। इस दोष से सूर्य के सकारात्मक फल कम हो जाते हैं। कुंडली में जब राहू-सूर्य साथ हो या राहु पंचम भाव में हो या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो या पंचम भाव का उप नक्ष्त्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तो पितृ दोष बनता है।
यदि किसी के घर में उत्तर-पूर्व या दक्षिण पश्चिम में शौचालय बना हुआ होता है तो उसके कुंडली में पितृ दोष के संकेत होते है।
कुंडली में पितृ दोष होने के कारण धन समृद्धि होने के बावजूद भी घर में शांति नहीं रहती है और कलह होता रहता है।
कुंडली में पितृ दोष के कारण राहु मजबूत हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को कोई समस्या का सामना करना पड़ता है। घर में पितरो का स्थान दक्षिण और पश्चिम कोना अच्छा माना गया है।